भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple) छत्तीसगढ़, भारत में स्थित है। यह एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है जो भारतीय सांस्कृतिक और वास्तुकला की महत्वपूर्ण उपलब्धि को प्रकट करता है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में स्थित है और स्थानीय जनजातियों की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है। भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple) परिसर में स्थित ४ मंदिरों के इस समूह में एक प्राचीन मंदिर जिसका का निर्माण प्राचीन ईंटों के द्वारा किया गया है। कामुक मूर्तिकला के कारण इस मंदिर को "छत्तीसगढ़ का खजुराहों" के उपनाम से भी सम्बोधित किया जाता है।
![]() |
भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple) |
भोरमदेव मंदिर का इतिहास (History of Bhoramdeo Temple)
![]() |
भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple) |
भोरमदेव मंदिर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में स्थित है और यह एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है जिसका निर्माण संभवत: ७वीं से १२वीं सदी में हुआ था। यह मंदिर भारतीय सांस्कृतिक और वास्तुकला की महत्वपूर्ण धरोहर का हिस्सा है और इसका इतिहास महत्वपूर्ण घटनाओं से भरपूर है।
मंदिर का नाम भगवान भोरमदेव के नाम पर रखा गया है, जिन्हें स्थानीय लोग भोरमदे भी कहते हैं। इन मंदिरों का मुख्य उद्देश्य धार्मिक और आध्यात्मिक आदर्शों को प्रसारित करना था और यह स्थानीय जनजातियों के धार्मिक आयाम को प्रकट करता था।
भोरमदेव मंदिर का निर्माण शैली में स्थानीय विशेषताएं दिखती हैं, जैसे कि उच्च कच्छ शैली का प्रयोग किया गया है और पत्थरों का उपयोग किया गया है। मंदिर की दीवारों पर चित्रित नक्काशियाँ और शिल्पकला का प्रदर्शन होता है, जो स्थानीय कारीगरों की कौशल को प्रकट करते हैं।
इस मंदिर का इतिहास स्थानीय सांस्कृतिक कथाओं और लोकगीतों के माध्यम से भी प्रस्तुत होता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्मृति के स्त्रोत के रूप में भी उभरता है। भोरमदेव मंदिर का इतिहास भारतीय संस्कृति, धर्म और कला के प्रति लोगों की गहरी सम्मान भावना को दर्शाता है और इसकी वास्तुकला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक मानचित्र के रूप में है।
भोरमदेव मंदिर भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में स्थित है और यह भारतीय वास्तुकला की एक अद्वितीय उदाहरण है। यह मंदिर गोंड जनजाति की सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करता है और इसकी वास्तुकला में स्थानीय विशेषताएं दिखती हैं।
भोरमदेव मंदिर का निर्माण संभवत: 7वीं या 8वीं सदी में हुआ था। यह मंदिर उच्च कच्छ शैली में निर्मित है, जिसमें पत्थरों का उपयोग किया गया है। मंदिर का मुख्य गोपुरम एक मुख्यालय द्वार से प्राप्त होता है जिसमें विविध रंगों का उद्घाटन किया गया है। मंदिर के भीतर, एक छोटे से मंदप में भगवान भोरमदेव की मूर्ति स्थापित है।
इस मंदिर की वास्तुकला में स्थानीय भूमि, मौसम, और स्थानीय संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतिष्ठान है। मंदिर की दीवारों पर चित्रित नक्काशियाँ और संग्रहणी में ज्योंकर, दर्पण, और धातु के काम दिखाई देते हैं, जो स्थानीय कारीगरों की कौशल को प्रदर्शित करते हैं।
भोरमदेव मंदिर एक उत्कृष्ट संरचना मानी जाती है, जिसका निर्माण ११वीं शताब्दी में किया गया, जो खजुराहो के मंदिरों से भी पुराना है। इसकी दीवारों पर प्रचुर मात्रा में नक्काशी चित्रित है। इसकी संरचनात्मक विशिष्टता मंदिर की मीनार के शीर्ष भाग में क्रमानुसार ऊपर की ओर स्थित घटती पंक्तियों के स्तरों में निहित है।
![]() |
Image Source by Google Photos |
भोरमदेव मंदिर समय और प्रवेश शुल्क (Bhoramdeo Temple Timing & Entry Fee)
भोरमदेव मंदिर सप्ताह के सभी दिनों में प्रातःकाल ५:०० बजे से अपराह्न १२:०० बजे तक और सायं ४:०० बजे से रात्रि ९:०० बजे तक खुला रहता है। चूँकि यह धार्मिक महत्व का स्थल है इसलिए इसमें आने वाले किसी भी श्रद्वालु से किसी भी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता है।
भोरमदेव मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय ( Best Time To Visit Bhoramdeo Temple)
भोरमदेव मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के दौरान जब सर्दिया होती है। इस समय मौसम की स्थिति बड़ी सुहावनी बनी रहती है जिससे यात्रा की यादें बड़ी सुखद रहती है।
0 टिप्पणियाँ