भारत के एक बेंतहा खूबसूरत राज्य ओडिशा के सम्भलपुर से लगभग २३ किमी दूर महानदी के तटबन्ध पर स्थित हरी-भरी प्राकृतिक छठा के मध्य स्थित हुमा नामक गांव, जिसके अंदर एक बहुत ही अद्भुत और प्राचीन मंदिर, जिसे हुमा के झुके हुए मंदिर (A Leaning Temple of Huma) के नाम से जाना जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर की शोभा भगवान सदाशिव है। जिन्हे यहाँ विमलेश्वर के नाम से जाना जाता है। पूरा मंदिर एक दिशा में कुछ अजीब सा झुका हुआ है। जो एक अनोखी संरचना है, क्योंकि कोई भी यह नहीं जानता कि यह संरचना प्रारम्भ से ही इसी प्रकार से निर्मित हुई है अथवा समय के साथ उसमें किसी प्रकार का झुकाव उत्पन्न हो गया है। परन्तु जो भी हो हरी भरी प्रकृति की गोद में भगवान विमलेश्वर की एक अद्भुत छठा के दुर्लभ दर्शन मन को एक अनूठी शान्ति प्रदान करते है।
हुमा के झुके मंदिर से जुड़ी दंतकथा (Legend Associated With Leaning Temple Of Huma)
स्थानीय कथा के अनुसार एक बार एक ग्वाला बहुत ही परेशान था कि उसकी दुधारु गाय प्रतिदिन नदी पार जंगल में चरने के लिए जाती परन्तु जब वह सन्धया बेला में वापस आती तो उसके थन सूखे व दूध रहित होते है। इस कारण का पता लगाने के लिए एक दिन उसने अपनी गाय का पीछा किया। उसने देखा महानदी पार एक स्थान पर एक पत्थर पर गाय के थनों से अचानक दूध की धारा प्रवाहित होने लगी। यह देख उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ, उसने इस घटना का वर्णन गांव के बुजुर्ग व ज्ञानी लोगों से किया। जिन्होंने भगवान शिव की महिमा उनके शिवलिंग को जाना तथा मंदिर का निर्माण करवाया तथा इस स्वयंभू लिंग को भगवान विमलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया गया।
हुमा के झुके मंदिर का आश्चर्य (The Wonder Of Leaning Temple Of Huma)
विश्व में लोगों ने सिर्फ पीसा की झुकी मीनार को तो देखा, लेकिन भारत के अद्भुत मंदिर जिनका वास्तु किसी न किसी कारण से झुकाव के साथ ही साथ पीसा की रचनात्मकता से कई गुना अद्भुत है। फिर भी संसार इनसे अनजान हैं। आज ऐसे ही एक मंदिर, विमलेश्वर मंदिर जिसे हुमा का प्रसिद्ध झुके मंदिर की ख्याति प्राप्त है कि रचनात्मक सौंदर्य के विषय में जानकारी प्राप्त करते है।
भगवान विमलेश्वर का यह झुका हुआ मंदिर २०० फीट लम्बे और १२० फीट चौड़े आयताकार मंच पर निर्मित एक सुन्दर मंदिर है। जिसमें अष्ट शम्भु शिवलिंगो की एक श्रृंखला स्थापित है। यह अष्ट शम्भु शिवलिंग इस प्रकार है -
२. अम्बावन के केदारनाथ
३. देवगांव के विश्वनाथ
४. गैसामा के बालुंकेश्वर
५. मानेसर के मानेस्वर
६. सोरना के स्वपनेश्वर
७. सोरंडा के विश्वेश्वर
८. सोरंडा के नीलकण्ठेश्वर
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भगवान विमलेश्वर के शिवलिंग को इन सभी शिवलिंगो में प्रधान शिवलिंग माना जाता है। महानदी के किनारे स्थित मंदिर के उत्तर-पूर्व में मंदिर एक अद्भुत प्रकार से झुका हुआ है। विमलेश्वर मंदिर का निर्माण गंगा वामसी सम्राट अनंगभीमदेव तृतीय ने अपने शासनकाल के दौरान करवाया था। जिसका जीर्णोद्वार १६६०-१६९० ई. में सम्बलपुर के तत्कालीन पांचवें चौहान शासक राजा बलियार सिंह से अपने शासनकाल के दौरान करवाया था। १७६६-१७८८ ई के अपने शासनकाल में राजा अजीत सिंह ने इसके अन्य भागों व मंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन उसके झुकाव का कारण क्या है? इस पर आज भी विवाद बना हुआ है। एक पक्ष का मत है कि मंदिर का यह झुकाव महा नदी और धूलिजोर की प्रचण्ड धाराओं और उससे आयी बाढ़ से बचाव के लिए बनाया गया था। वही एक पक्ष, जो भूवैज्ञानिकों का है, का मत है कि क्षेत्र की धरती के नीचे आये भूकंप के कारण कोई परत अपने स्थान से हट गयी होगी जिससे मंदिर के वास्तु में एक झुकाव आ गया। परन्तु गांव के स्थानीय लोग तथा मंदिर के पुजारी द्वारा बताया गया है कि ४०-५० वर्षों से मंदिर आज भी उसी झुकाव में स्थिर है।
मंदिर का एक अन्य आकर्षण नदी में पाई जाने वाली विशेष मछली जिसे स्थानीय लोग "कूडो" कहते है। इन्हे देवतुल्य मानकर आने वाले दर्शनयात्री उन्हें प्रसाद इत्यादि खिलते है।
हुमा के झुके मंदिर का समय (Timing Of Leaning Temple Of Huma)
भगवान विमलेश्वर के दरबार के द्वार उनके भक्तों के लिए प्रातः ६ बजे से रात्रि ८:३० बजे तक खुले रहते है। जिसमें भक्त अपने प्रिय भगवान विमलेश्वर तथा परिसर में उपस्थित अन्य छोटे बड़े मंदिरों के दर्शन कर सकते है।
हुमा के झुके मंदिर में मनाये जाने वाले पर्व (Festivals Celebrated In Leaning Temple Of Huma)
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हुमा के झुके मंदिर जाने से पूर्व निर्देश (Instructions Before Going To Leaning Temple Of Huma)
- ग्रीष्म ॠतु के दौरान मंदिर में यात्रा करने से पूर्व अपने साथ हल्के सूती वस्त्र अवश्य रखें क्योंकि इस समय तापमान ५० डिग्री तक हो जाता है।
- यात्रा के समय अपने साथ छाता, टोपी, सनस्क्रीम व धूप के चश्मे के साथ ही साथ पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी अवश्य रखे क्योंकि सूर्य की किरणें इस क्षेत्र में बड़ी तीव्र होती हैं।
- मंदिर में दर्शन करने से पूर्व भारतीय पारम्परिक वस्त्रों का चयन करें। पाश्च्यात पोशाक में मंदिर में प्रवेश वर्जित है।
- यदि आपने शीत ॠतु के दौरान मंदिर में यात्रा करने का विचार किया है तो अपने साथ हल्के वस्त्रों के साथ ही साथ गर्म वस्त्र अवश्य रखें क्योंकि इस क्षेत्र में तापमान अचानक से ८-१० डिग्री तक अचानक गिर जाता है।
हुमा के झुके मंदिर तक कैसे पहुंचे (How To Reach Leaning Temple Of Huma)
हुमा का झुका हुआ मंदिर, ओडिशा का एक प्राचीन मंदिर है। और ओडिशा में यात्रा करने का सबसे का सबसे अनुकूल समय अक्टूबर से अप्रैल का है, जिस समय सूरज की गर्मी में कुछ नरमियता होती है। अतः इस समय यहाँ पहुंचने के लिए -
हवाई मार्ग द्वारा
बिजूपटनायक अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भुवनेश्वर का मुख्य हवाई अड्डा है जहां से देश के प्रमुख हवाई अड्डों के लिए उड़ाने उपलब्ध है। बिजूपटनायक अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से हुमा के झुके हुए मन्दिर की दूरी बाहर निकल कर मिलने वाली निजी टैक्सी से आसानी से पूरा किया जा सकता है।
सड़क मार्ग द्वारा
सम्बलपुर उड़ीसा के सभी प्रमुख मार्गो से जुड़ा हुआ है। अतः हुमा पहुंचने के बाद बड़ी ही आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग द्वारा
सम्बलपुर रेलवे स्टेशन हुमा का झुका हुआ मंदिर पहुंचने के लिए सबसे निकटतम व व्यस्त रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन के बाहर उपलब्ध टैक्सियां और कैब तथा निजी बसें आगंतुकों को बड़ी ही सरलता से मंदिर पहुंचाने की सेवा प्रदान करती है।
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