बिहार जिसका नाम सुनते ही सिर्फ मन और मस्तिष्क में सिर्फ विचार आते है की इस धरती ने कितने आईएस और आईपीस दिए है कितने राजनैतिक नेता दिए है जिन्होंने समाज को पोषित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते है कि बिहार राज्य का इससे भी बड़ा योगदान सनातन धर्म, संस्कृति और आस्था को कालान्तर तक जीवंत बनाये रखने में किया है। राज्य के अनेक धर्म स्थल इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण है।
इन्ही में से एक मन्दिर जिस के विषय में आज आपको बताने जा रहे है, वह है बिहार के सिवान जिले में भेरवानिया और साडीहा गांव की सीमा पर स्थित प्राचीन मन्दिर बिष्णुधाम मन्दिर। मन्दिर का निर्माण दक्षिण भारतीय भारतीय वास्तुकला में किया गया है। जिसके राजगोपुरम और मन्दिर परिसर को देखकर आप स्वयं को उत्तर भारत में न होकर दक्षिण भारत में होने का अनुभव प्राप्त करेंगे।
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विष्णुधाम मुख्य प्रवेश द्वार |
मान्यतानुसार किसी मन्दिर का निर्माण होने के बाद उसकी मूर्ति या मूर्तियों का निर्माण कार्य परन्तु विष्णुधाम मन्दिर विपरीत मूर्ति पहले आयी उसके बाद मन्दिर का निर्माण किया गया। सामस गांव में निर्माण कार्य के दौरान खुदाई स्थल पर कुदाल किसी ठोस वस्तु से टकराई। जांच करने पर पत्थर की एक काली से प्रतिमा जिनकी चारों भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और पद्म में सुशोभित थे। पुरातत्व विभाग द्वारा जाँच किये जाने पर उसे ११०० वर्ष पुरानी भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति ( ९वी शताब्दी की ) घोषित किया गया तथा मन्दिर का निर्माण स्थानीय लोगो ने प्रशासन की मदद से एक सुन्दर मन्दिर का निर्माण करवाया गया।
मन्दिर में गोपुरम के दोनों ओर हाथ जोड़े हनुमान जी और गरुण की मुर्तियां है तथा प्रवेश द्वार के बाद भव्य मूर्तियों से सजा हुआ एक छोटा से बगीचा दिखता है। मन्दिर का वास्तु और वातावरण सभी प्रकार से दक्षिण भारत के किसी मन्दिर की भांती प्रतीत होने का कारण ऐसा नहीं प्रतीत होता है की आप उत्तर भारत के किसी मन्दिर में है। मन्दिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की ७.५ फीट ऊँची और ३.५ फीट चौडी मूर्ति है जिसे उत्तर भारत भगवान विष्णु की सबसे बड़ी मूर्ति माना जाता है। मूर्ति के दोनों तरफ हाथ के नीचे दो अन्य मूर्तिया भी स्थित है। खुदाई में प्राप्त एक अन्य मूर्ति जिसे माता लक्ष्मी की मूर्ति माना जा रहा है, चोरी हो गयी थी, जिसे आज तक बरामद नहीं किया जा सका है। परिसर में इनके अतिरिक्त अन्य कई छोटे छोटे दर्शनीय मन्दिर तथा एक विवाह मंडप भी है।
श्री रामानुज सम्प्रदाय के अनुसार, किसी भी जाति, उम्र, लिंग या शिक्षा के आधार पर कोई भी व्यक्ति चाहें व पुरुष हो अथवा स्त्री सभी को पूजा का अधिकार है, बशर्ते उन्हें चक्र और शंख के प्रतीकों को धारण करते हुए दीक्षा से गुजरना पड़ता है। पंचरात्र ग्रंथो में यहाँ तक वर्णित है कि व्यक्ति जहां दीक्षा के उपरान्त घर में पूजा करने का पात्र है, वहीं ब्राह्मण मन्दिर में देवता की पूजा करने का पात्र है। श्री रामानुज सम्प्रदाय की इस परम्परा को रामानुज आचार्यों द्वारा पोषित और समर्थित किया जाता है।
मन्दिर की मुख्य विशेषता वैष्णव सम्प्रदाय के नियमों के अनुरूप ही मन्दिर के दैनिक अनुष्ठान और वार्षिक समारोहों का आयोजन किया जाता है।
विष्णुधाम मन्दिर कैसे पहुंचे? ( How to Reach Vishnudham Temple, Bihar )
हवाई मार्ग से ( By Air )
सबसे निकटतम हवाई अड्डे के रूप में पटना में स्थित जय प्रकाश नारायण हवाईअड्डा है। जहा से मन्दिर की दूरी ११२ किमी के लगभग है। हवाई अड्डे से मन्दिर के लिए स्थानीय वाहनों की प्रचुरता यात्रा को सुगम बना देती है।
रेल मार्ग से ( By Train )
मन्दिर के सबसे निकटवर्ती रेलवे स्टेशन सरहरी रेलवे स्टेशन ( ३.७ किमी ), विष्णुपुर महुआरी रेलवे स्टेशन ( ८ किमी ) और महराजगंज रेलवे स्टेशन (१० किमी ) है। जहाँ से किराये पर उपलब्ध रिक्शा और टैक्सी आपको बिना किसी कष्ट के मन्दिर तक पहुंचा देते है।
सड़क मार्ग से ( By Road )
बिहार राज्य सड़क के एक व्यवस्थित जाल से उत्तर भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। सबसे निकटतम बस स्टैण्ड सिवान बस स्टैण्ड है जहां से मन्दिर की दूरी ३० किमी के आसपास है।
विष्णुधाम मन्दिर गूगल मैप में ( Vishnudham Temple in Google Maps )
विष्णुधाम मन्दिर फोटो गैलरी ( Photo Gallery )
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