दाह परबटिया मन्दिर भारत के पूर्वोत्तर मे स्थित असम राज्य में पश्चिमी तेजपुर के निकट में स्थित एक छोटा सा गांव है। जिसमें गुप्त काल में बनाये गए दाह परबटिया मन्दिर के खंडहरों पर अहोम काल में एक शिव मन्दिर का निर्माण किया गया। परन्तु १८९७ में आये विनाशकारी भूकम्प ने इस शिव मन्दिर के नीचे छुपे हुए इस गुप्त मन्दिर को फिर से बाहरी दुनिया के समक्ष ला दिया। १९२४ में की जाने वाली पुरातत्व विभाग की खुदाई ने इसे ६वीं शताब्दी का घोषित कर दिया तथा इसके महत्त्व को ध्यान में रखते हुए पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम १९५८ के अंतर्गत इसको संरक्षण प्रदान करते हुए, एक पुरातात्विक मन्दिर घोषित कर दिया।
दाह परबटिया मन्दिर का इतिहास (History of Dah Parvatiya Temple)
दाह परबटिया मन्दिर में पाए गए पुरातात्विक अवशेषों जिसमे टेराकोटा की पट्टिकाएँ और ढलाई और निर्माण के तरीकों से अनुमान होता है की मन्दिर का निर्माण ६वीं शताब्दी के पूर्व का है। इस प्रकार की स्थापत्य विशेष रूप से उत्तर भारत में निर्मित गुप्त काल की अवधि में मिलती है जिसके मुख्य उदाहरण भुमरा और नच्छ कुठारा के मन्दिरों में भी मिलते है। खंडहरों में पाये गए सजावटी तत्व भी उड़ीसा के मन्दिरों के सामान ही पाए गए है।
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दाह परबटिया मन्दिर |
मन्दिर आर्किटेक्चर (Architecure of Dah Parvatiya Temple)
गुप्त काल के इस मन्दिर की खुदाई से ज्ञात होता है की गर्भगृह का आधार 8. ५ फ़ीट लम्बा और ८.३३ फीट चौड़ा था। एक गोलाकार मार्ग जो एक आयताकार बाहरी मण्डप तक जाता था। गर्भगृह के खुले स्थल पर २. ४१८ फीट लम्बा और २.६६ फीट चौड़ा और लगभग ५ से ६ इंच गहरा एक पत्थर का कुण्ड जिसे वेदी कहा जाता था मौजूद है। पुरातत्व विभाग के द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार मूल मन्दिर का निर्माण ५वीं शताब्दी में पाए जाने वाले ईटो के द्वारा किया गया था। जिनकी १५ इंच लम्बा ११ इंच चौड़ा और २.५ फीट ऊँचा था।
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दाह परबटिया मन्दिर असम |
मन्दिर के द्वार की चौखट की लम्बाई ५.२५ फीट और चौड़ाई 1.५ फीट थी। जिसके निचले हिस्से में नक्काशी की गयी थी किन्तु ऊपरी भाग में अलग अलग पैटर्न में खुदी हुई पट्टीया है। इसके अतिरिक्त उड़ती हुई कलहंस की नक्काशी भी उपलब्ध है जो गुप्त काल की कला परम्पराओं का जीवंत उदाहरण है। इस प्रकार की स्थापत्य कला को असम में मूर्तिकला के सबसे प्राचीन नमूने के रूप में जाना जाता है। मध्यकालीन युग की स्थापत्य कला जिसमे देवी देवताओं को खड़ी मुद्रा में जिसमें प्रत्येक के हाथ में माला और शीश पर एक दिव्य आभामंडल को चित्रित किया जाता था, की नक्काशी चौखट पर चित्रित की गयी है। दाहिने दरवाजे की चौकी पर दो महिला परिचारिको की छवि अंकित है जिसमे एक हाथ में छत्र पकडे हुए खड़ी हुई है। जबकि दूसरी परिचारिका फूलों से भरी हुई एक थाली पकडे हुए दिखाया गया है। देने ओर के द्वार की नक्काशी बायीं ओर के द्वार की तुलना में कुछ बेहतर रूप से संरक्षित है।
दाह परबटिया मन्दिर में मनाये जाने वाले त्यौहार (Festivals Celebrated in Dah Parvatiya Temple)
दाह परबटिया मन्दिर में प्रतिदिन अर्चना और अभिषेक आदि दैविक अनुष्ठान किये जाते है। मन्दिर में मनाये जाने वाले त्योहार महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा और दिवाली भव्य तरीके से शैव मत के अनुयायियों द्वारा मनाये जाते है।
दाह परबटिया मन्दिर तक कैसे पहुंचे ? (How to Reach Dah Parvatiya Temple)
तेजपुर, ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर स्थित प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है जिसकी हरी भरी सुंदरता और बर्फ से ढकी हुई सुन्दर वादिया और प्राचीन पुरातात्विक मन्दिर के खंडहरों के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यदि आप एडवेंचर के शौकीन है तो तेजपुर आप के लिए सुंदर विकल्प है। यहाँ आने का सबसे बढ़िया समय नवम्बर से मई का महीना है क्योंकि इस समय खिलते हुए आर्किड की सुंदरता मन को एक विचित्र प्रकार का मन मस्तिष्क की आराम देता है।
हवाई मार्ग से मन्दिर (By Air)
सबसे निकटतम हवाई अड्डा तेजपुर हवाई अड्डा है। जहा से दाह परबटिया गांव की दूरी १० किमी है।
रेल मार्ग से मन्दिर (By Train)
सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन तेजपुर रेलवे स्टेशन है। जहा से दाह परबटिया गांव की दूरी ५ किमी है।
सड़कमार्ग से मन्दिर (By Road)
सबसे निकटतम बस स्टॉप तेजपुर बस स्टॉप है। जहां से मन्दिर की दूरी ३ किमी है। जहां से आप मिलने वाली टैक्सी ले सकते है।
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