काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तरपूर्वी राज्य असम गोलाघाट और नागांव जिले में फैला हुआ, एक ऐसा स्थल है जिसमे असंशोधित प्रकृति अपने पुरातन रूप में अनगिनत रंगों में खेलती है। जहां मनुष्य प्रकृति से रूबरू होता है तो वही वन्यजीव निर्भय होकर स्वछन्द रुप से प्रकृति की गोद में विचरते है। इसकी इसी सुन्दरता ने इसे सिर्फ देश में ही नहीं अपितु भारत से सुदूर देश के निवासियों को भी आकर्षित करने के कारण यूनेस्को के सदस्यों का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित किया है। जिसने इसे विश्व धरोहर के रुप में चिन्हित करके संरक्षण प्रदान किया है।
उद्यान पूरे विश्व के एक सींग वाले गेंडो की दुर्लभ प्रजातियों में से दोतिहाई गेंडो का प्राकृतिक घर है। एक सींग वाले गेंडो के अतिरिक्त उद्यान एक बड़ी संख्या में हाथियों, बाघों, जंगली भैसों, हिरणों और पक्षियों की अनेक प्रजातियों को अपने ४३० वर्ग किमी के क्षेत्र में रहने और अपनी संख्या में वृद्धि के अवसर प्रदान करता है।
काजीरंगा शब्द की उत्पति के विषय में काफी मतभेद है क्योंकि इस नाम का की भी प्रामाणिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। स्थानीय किंवदंती के अनुसार इस क्षेत्र के निकटवर्ती गांव में एक रावंगा नाम की एक लड़की रहती थी जिसे कार्बी आंगलोंग के काजी नामके युवक से प्रेम हो गया। परन्तु उनका परिवार उनके इस मिलन के लिए सहमत नहीं हुआ। इसलिए उन दोनो ने इस जंगल में जाने का विचार किया और उसके बाद उन्हें किसी ने भी नहीं देखा। इस लिए जंगल का नाम उनके नाम पर काजीरंगा रखा गया।
काजीरंगा का इतिहास ( History of Kaziranga National Park )
भारत के ब्रिटिश वायसराय लार्ड कर्जन की पत्नी ने वर्ष १९०४ में गैंडे के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र में गैंडे को देखने के लिए दौरा किया परन्तु गैंडो के अवैध शिकार के कारण उन्हें अपने इस दौरे में अत्याधिक निराशा का सामना करना पड़ा और उन्हें इस वन क्षेत्र में एक भी गैंडे के दर्शन न हुए। वापस लौटते ही उन्होंने लार्ड कर्जन को इस क्षेत्र के लिए तत्काल संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रेरित किया। उनके इस प्रयास के फलस्वरूप वर्ष १९०५ की १ जून ब्रह्मपुत्र के इस क्षेत्र के २३२ वर्ग किमी को आरक्षित वन के रूप में संरक्षण प्रदान किया गया। अगले तीन वर्ष इस क्षेत्र के लिए सुनहरे समय के रूप में जाना गया तथा इस क्षेत्र का विस्तार में १५२ किमी का विस्तार करते हुए काजीरंगा को एक आरक्षित वन के रूप में वर्ष १९०८ में चिन्हित किया गया।
१९१६ में इसका नाम बदल कर पुनः इसे काजीरंगा खेल अभयारण्य के रूप में नामित किया गया परन्तु १९३८ तक पर्यटकों को तो प्रवेश की अनुमति रही परन्तु शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध जारी रहा। जिसे स्वतन्त्रता के बाद १९५० में बदल कर पुनः इसका नाम काजीरंगा वन्यजीव अभयारण्य रखा गया। १९५४ में असम सरकार ने बहुमूल्य एक सींग वाले गेंडो को संरक्षण देने के उद्देश्य और उनके सींग के लिए किये जाने वाले अवैध शिकार पर नियंत्रण करने के उद्देश्य से असम गेंडा विधेयक पारित किया गया। १९७४ में इसे केन्द्र सरकार की सहमति पर आधिकारिक रुप से ४३० वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तारित काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। उसके बाद भी इसका सुनहरा समय यही पर न रुक कर, अपने उस सबसे सुनहरे दौर पर पंहुचा जब अपने अद्वितीय प्राकृतिक वातावरण के कारण यूनेस्को का ध्यान काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की ओर आकृष्ट हुआ और यूनेस्को ने इसे विश्व घरोहर घोषित किया।
काजीरंगा का भौगोलिक तन्त्र ( Geography of Kaziranga National Park )
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार पूर्व से पश्चिम तक ४० किमी और उत्तर से दक्षिण तक १३ किमी चौड़ा है। सुरक्षित कॉरिडोर के रुप में कार्बी आंगलोंग हिल्स जिसकी ऊंचाई ४० से ८० मीटर तक है उद्यान के वन्यजीव का आनन्द लेने के लिए सुरक्षित स्थल है। उद्यान तीनों प्रकार की ऋतुओं का आनन्द देता है, जो इस प्रकार है -
गर्मी का समयमार्च से मई का समय इस क्षेत्र में ग्रीष्मकाल का समय है जब तापमान लगभग ३७ डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है। जल के स्रोत जैसे झील और नालों में जल स्तर में गिरावट आ जाती है कुछ तो लगभग सूख जाते है। इस अवधि में उद्यान के अधिकतर जीव जल स्रोत के आसपास देखे जा सकते है। इस मौसम में अधिकतर उद्यान में आग लगने जैसी घटनायें होती रहती है। | मानसून का समयजून से सितम्बर का समय इस क्षेत्र में वर्षा काल का समय है जब वर्षा लगभग ८७ इंच के आसपास तक रिकॉर्ड की गयी है। जुलाई और अगस्त का मानसून समय ब्रह्मपुत्र का जलस्तर बढ़ने के कारण इस क्षेत्र के लगभग तीन चौथाई हिस्से को जलमग्न कर देता है। | सर्दियों का समयनवंबर से फरवरी का समय लगभग २५ डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। जिसमें वातावरण हल्का शुष्क और नम रहता है। इस समय के दौरान उद्यान की अधिकतर जलनिकायो में जलस्तर गिरने लगता है। |
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाने वाली वनस्पतियां और वन्यजीव ( Flora & Fauna of Kaziranga National Park)
वन्य जीव ( Fauna )काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ३५ स्तनधारी प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करता है। काजीरंगा के बिग फाइव - एक सींग वाला गैंडा, बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, जंगली भैंसा और दलदली हिरण इस राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य जीवखनिज है। शाकाहारी जीवों में एशियाई हाथी, गौर, सांभर, भारतीय मंटजैक, जंगली सुअर और हॉग डिअर, जंगली भैंसा, असमिया मकाक, सुनहरा लंगूर, हूलॉक गिब्बन आदि पाए जाते है। इसके अत्रिरिक्त काजीरंगा विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों का घर होने के साथ ही साथ हंस, फेरगिनस, बेयर के पोचार्ड बत्तख, सारस, किंगफ़िशर, बगुला, डेलमेटियन और स्पॉट बिल्ड पेलिकन और गिद्धों हॉर्नबिल, बब्बलर आदि को देखने का एक बेहतरीन क्षेत्र है। काजीरंगा की नदिया लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन और ऊदबिलाव और ४२ प्रजातियों की मछलियों और कछुओं की पंद्रह प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करती है। सरीसृपों में जालीदार अजगर, रॉक अजगर, किंग कोबरा, भारतीय कोबरा रसेल वाइपर के साथ ही साथ बंगाल मॉनिटर और एशियन मॉनिटर का प्राकृतिक निवास है। | वनस्पतियां ( Flora )इस राष्ट्रीय उद्यान में चार प्रकार की वनस्पतियां - जलोढ़ जलमग्न घास के मैदान, जलोढ़ सवाना वुड लैंड्स, उष्णकटिबन्धीय नम मिश्रित पर्णपति वन तथा उष्णकटिबन्धीयअर्ध सदाबहार वन पाई जाती है। उद्यान का पूर्वी क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्रों की तुलना में कुछ ऊँचा है। लम्बी हाथी घास जो की ऊंचाई वाले भागो में पाई जाती है जबकि छोटी और माध्यम आकार की घास बाढ़ से बने जल निकायों के आस पास देखी जा सकती है। गन्ना, भाला घास, हाथी घास यहाँ पायी जाने वाली अधिकतम हिस्सों में घास की प्रजातियां है। झीलों और नदियों के किनारे भिन्न भिन्न प्रकार की जलीय वनस्पतियां है। जलकुम्भी जल निकायों में पाई जाने वाली सबसे खतरनाक जलीय वनस्पति है जो पूरे के पूरे जलनिकाय पर अपना आधिपत्य कर लेती है। प्रत्येक वर्ष ब्रह्मपुत्र द्वारा मानसून में आने वाली तबाही को रोकने के उद्देश्य से इस विनाशकारी जलकुम्भी को साफ कर दिया जाता है। |
काजीरंगा यात्रा के मुख्य आकर्षण ( Attraction of Kaziranga National Park )
जीप सफारीराष्ट्रीय उद्यान को देखने का एक विकल्प है। खुली हुई जिप्सी में एक बार में ६ पर्यटक जंगल को जानने का आनन्द ले सकते है। | हाथी सफारीराष्ट्रीय उद्यान को गहराई से जानने के लिए हाथी सफारी सबसे शीर्षत विकल्प के रूप में चुनाव किया जाता है। क्योंकि हाथी इन जीवों के काफी निकट तक चले जाते है। | बोट सफारीबोट सफारी ब्रह्मपुत्र नदी में मिलने वाली गंगा डॉल्फिन को देखने और एक सींग वाले गेंडों और अन्य वन्य जीवों को जल पीते हुए या नदी के दलदली हिस्से में आराम करते हुए देख सकते है। जहां जीप या हाथी भी नहीं पहुंच सकते है। | बायोडायवर्सिटी पार्कदेशभर के ५०० आर्किड प्रजातियों को देखने और जैव विविधता को समझने के लिए इस पार्क में एक बार जरूर जाये। क्योंकि यहाँ की रोमांचक सामग्री बड़ी बेसब्री से आपका इंतजार कर रही है। |
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान घूमने का बेस्ट समय ( Best Time to Visit Kaziranga National Park )
नवम्बर से फरवरी माह का समय जब दिन हल्के और शुष्क तथा रातें ठंडी जलवायु से भरे हुए होते है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को देखने और जानने का सबसे उपयुक्त समय होता है। इस समय वन्य जीव अपने अपने निवास से निकल कर धूप का आनन्द लेते हुए देखे जा सकते है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में सफारी ( Safari in Kaziranga National Park )
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान का वन विभाग वन्य जीव प्रेमियों, फोटोग्राफरों और अनुसंधान कर्ताओं को उद्यान के विषय में जानने के लिए दो प्रकार की जंगल सफारी की सुविधा उपलब्ध करवाता है। जिसके लिए उसने इस ४३० वर्ग किमी के क्षेत्र को चार भागों में विभक्त किया है। जिसके लिए चार प्रवेश बिन्दु (enterance point ) भी बनाये गए है।जो इस प्रकार हैं -
२. पश्चिम सफारी जोन बागोरी
३. पूर्वी सफारी जोन अगरतोली
४. पूर्वी क्षेत्र बुरापहाड सफारी जोन
जीप सफारी
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सेंट्रल रेंज या कोहरा रेंज
पश्चिमी रेंज या बागोरी रेंज
पूर्वी रेंज या अगरतोली रेंज
बुरापहार रेंज
जीप सफारी का समय
रेंज कोहोराबागोरी अगरतोली बुरापहार | सुबह का समय ७:१५ बजे से ९:४५ बजे तक७:१५ बजे से ९:४५ बजे तक ७:२० बजे से ९:४५ बजे तक ७:२० बजे से ९:४५ बजे तक | दोपहर का समय १३:१५ बजे से १४:४५ बजे तक१३:१५ बजे से १४:४५ बजे तक १३:१५ बजे से १४:४५ बजे तक १३:३० बजे से १४:४५ बजे तक | किराया भारतीय पर्यटकों के लिए ३७००/- रु ३८००/- रु ४५००/- रु ३७००/- रु | किराया विदेशी पर्यटकों के लिए ७५००/- रु७८००/- रु ८५००/- रु ७५००/- रु |
हाथी सफारी
यदि आप को जीवन में रोमांच पसंद है। तो काजीरंगा की लम्बी मोटी घास जिसमें एक पूरा का पूरा हाथी छिप जाये। ऐसे में रहस्यमयी जंगल और उसके लुभावने दृश्य को देखने का सबसे सुनहरा अवसर सिर्फ और सिर्फ हाथी सफारी से ही संभव है क्योंकि हाथी जंगली जानवरों के सबसे निकट तक जा सकते है जो जीप सफारी में संभव नहीं है। हाथी सफारी काजीरंगा के सबसे गहरे और अछूते हिस्से को जानने का सबसे सुरक्षित माध्यम है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में हाथी सफारी केवल दो क्षेत्रों में ही उपलब्ध है। आमतौर पर आने वाले पर्यटक बागोरी रेंज का ही चुनाव करते है।
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सेंट्रल रेंज या कोहरा रेंज
पश्चिमी रेंज या बागोरी रेंज
हाथी सफारी का समय
रेंज कोहोराबागोरी | सुबह का समय ५:०० बजे से ६:०० बजे तक५:०० बजे से ६:०० बजे तक | सुबह का समय ६:०० बजे से ०७:०० बजे तक६:०० बजे से ०७:०० बजे तक |
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे? ( How to Reach Kaziranga National Park )
![]() सबसे निकटतम हवाई अड्डा जोरहट जहा से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की दूरी ११२ किमी के लगभग तथा तेजपुर हवाई अड्डा जहां से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की दूरी ५१ किमी के लगभग है। दोनों ही हवाई अड्डे देश के विभिन्न हवाई अड्डों से व्यवस्थित रूप से जुड़े हुए है। जिनसे बाहर निकल कर राजकीय बस व टैक्सी बड़ी ही आसानी से आपको आपके गंतव्य तक पंहुचा देंगी। | ![]() निकटतम रेलवे स्टेशन फुर्केटिंग रेलवे स्टेशन है। जो गुवाहटी व असम के अन्य शहरों से मीटर और ब्रॉड गेज के द्वारा जुड़ा हुआ है।फुर्केटिंग रेलवे स्टेशन से राष्ट्रीय उद्यान की दूरी मात्र ८० किमी है। जिसके लिए आसानी से कैब या टैक्सी उपलब्ध है। | ![]() असम देश व अपने निकटवर्ती शहरों के एक सुनियोजित रूप से जुड़ा हुआ है। काजीरंगा के लिए गुवाहाटी से मिलने वाली किराये पर ट्व व्हीलर व टैक्सी सबसे सुंदर विकल्प है। जो इस कॉरिडोर में विभिन्न वाच टावर पर रूक कर वन्यजीव को देख सकते है। परन्तु या वनजीवों के लिए कॉरिडोर है इस कारण अपने वाहन की गति पर नियंत्रण अति आवश्यक है। |
फोटो गैलरी
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