ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित मालिनीथन एक पुरातात्विक पौराणिक स्थल है, जिसमें प्रारंभिक मध्ययुगीन काल के एक हिंदू मंदिर के खंडहर शामिल हैं। यह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले के लिकाबली उप मंडल के अंतर्गत सियांग पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। मालिनीथन, तलहटी में स्थित होने पर भी ६९ फीट लगभग की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी पर निर्मित एक दर्शनीय स्थल है, जहा से ब्रह्मपुत्र नदी के दृश्य दिल को छू लेते है।
 |
Image Source - google Image by Wikipedia |
मालिनीथन से जुडी किंवदंती
पौराणिक कथाएं इस स्थल को महाकाव्यों से जोड़ती है जिसके नायक राजा भीष्मक थे। कथा के अनुसार, विदर्भ के राजा भीष्मक का पुत्र राजकुमार रुक्मी अपनी बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था, परन्तु देवी रुक्मिणी जो की भगवान श्री कृष्ण से विवाह करना चाहती थी। भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल से विवाह के पूर्व ही देवी रुक्मिणी का अपहरण कर लिया और भीष्मकनगर से द्वारका की दिशा में वापसी से समय उन्होंने विश्राम के लिए एक स्थल पर रुकने का विचार किया। उस स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ तपस्या कर रहे थे। आदिभगवती ने अचानक से आये अपने इन अतिथियों का बड़े ही मनोभाव से स्वागत किया तथा अपने सुन्दर बगीचे के पुष्पों की माला अर्पित की। कृष्ण ने देवी पार्वती को एक ऐसी महिला के रूप में संदर्भित किया जो सुन्दर मालाओं को बनाती है। तभी से देवी पार्वती को मालिनी और उस स्थल को जहाँ देवी पार्वती के द्वारा उन्हें माला अर्पित की गयी थी को मालिनीथन के नाम से सम्बोधित किया जाता है।
मालिनीथन का इतिहास
मालिनीथन के खंडहरों के पुरातात्विक अध्ययनों से संकेत मिलता है कि इस स्थल को १३वीं -१४वीं शताब्दी की अवधि में चुटिया राजाओं के द्वारा निर्मित कराया गया। जब चुटिया राजाओं ने अपने राज्य में भूमि को अनुदान स्वरुप ब्राह्मणों को प्रदान करना प्रारम्भ किया था।
१९६८ और १९७१ के मध्य होने वाली खुदाई से इस स्थल पर विभिन्न अवशेष मिले जिनसे ज्ञात होता है की मन्दिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया था, जो पूर्वोत्तर के अधिकांश मन्दिरों के रूप में काफी अलग था, जिनका निर्माण ईंटो से किया गया था। दो हाथियों पर शेर की मूर्ति, ऐरावत पर आरुण देवराज की ग्रेनाइट की मूर्ति, मोर पर सवार कार्तिकेय, रथ पर आरुण भगवान सूर्य, मूषक पर सवार गणेश और एक बड़े नन्दी की मुर्तिया खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी।
.webp) |
Image Source - Google Image by Hindu temples of India |
खुदाई के दौरान एक महिला की मूर्ति भी प्राप्त हुई जिसका शीश नहीं था, माना जाता है यह मूर्ति देवी मालिनी का प्रतिनिधित्व करता है। देवी दुर्गा की छवि जिन्हें "पुपने", जो की देवी का प्राचीन नाम है के नाम से जाना जाता है। पाई गयी कुछ मूर्तियों में कामुक मुद्रा भी चित्रित है जिसके लिए ज्ञानी विधयो का मानना है मन्दिर निर्माण के समय क्षेत्र में आदिवासी लोगो के प्रजनन संस्कार के रूप में तंत्रवाद प्रचलित था। जिन्होंने "प्रकृति की प्रजनन शक्ति के रूप में मातृ प्रधान" को धारण किया था। मन्दिर का निर्माण पूरी तरह से पत्थर को तराश कर बनाया गया था। इस प्रकार के मन्दिरों को अस्मामायई के नाम से जाना जाता है। जो शक्तिवाद का एक मुख्य केंद्र था। ताम्रेश्वरी मन्दिर की संरचना से ज्ञात होता है की मन्दिर के निर्माण करने वाले वस्तुज्ञाता एक ही थे।
मालिनीथन की जलवायु
हिमालय की तलहटी में स्थित होने के कारण पूरे वर्ष ही एक मध्यम और सुखद शीतल जलवायु का आनन्द अनुभव होता है। फिर भी सबसे रोमांचकारी समय अक्टूबर से अप्रैल का है।
मालिनीथन यात्रा में क्या करें ?
ऐतिहासिक महत्त्व का यह पवित्र स्थल प्रति वर्ष बड़ी संख्या में लाखों लोगों को आमंत्रित करता है। इस जगह का मुख्य आकर्षण ट्रैकिंग और हाइकिंग है। यह जगह कला प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है क्योकि प्राचीन संस्कृति से जुडी कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाला एक आदर्श स्थल है।
 |
हाइकिंग |
मालिनीथन में चुनौती
भव्य नए मन्दिर के निर्माण के बाद मुख्य चुनौती २. मीट्रिक टन वजनी मुख्य देवता की मूर्ति को पुराने मंदिर से नये मन्दिर में स्थानांतरित करना था। यह कार्य चुनौतीपूर्ण होने का कारण था, की मूर्ति को बिना खंडित हुए नए मंदिर में स्थापित करना। जिसके लिए डी सी सिंह ने एर को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी गई। मूर्ति के आकार और संरंचना के अनुसार उन्होंने लिफ्टिंग किट का प्रयोग करते हुए बड़ी ही कुशलता से १७ नवंबर २०१९ में स्थानांतरित कर दिया गया था।
कैसे पहुंचे मालिनीथन?
हवाई मार्ग से मालिनीथन
सबसे निकटतम हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ ( ६७ किमी ) और लीलाबाड़ी ( १०० किमी ) है, जो असम राज्य में स्थित है। जो इस देवस्थल को देश और दुनिया से जोड़ता है।
रेल मार्ग से मालिनीथन
मालिनीथन का निकटतम रेलवे स्टेशन सिलापाथर ( ९ किमी ) जिले में है। यह भी असम राज्य में ही स्थित है।
सड़क मार्ग से मालिनीथन
मालिनीथन शहर की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा संसाधन सड़क मार्ग है। राज्य में यात्रा के लिए नियमित बसें निश्चित अंतराल पर उपलब्ध है।
2 टिप्पणियाँ
Good
जवाब देंहटाएंNice bhai 👍👍👍👍
जवाब देंहटाएं