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निलक्कल महादेव मन्दिर

निलक्कल महादेव मन्दिर भारत के दक्षिणी राज्य केरल के पथानामथिट्टा जिले के निलक्कल में स्थित एक प्राचीन हिन्दू तीर्थस्थल है। जिसके अधिष्ठाता भगवान शिव है। निलक्कल महादेव मन्दिर, चूंकि हरे भरे जंगल और रबर के बागानों के मध्य में स्थित है, अतः सबरीमाला में भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए जाने वाले उनके भक्तों के लिए एक आरामदायक विश्राम स्थल जिसे स्थानीय भाषा में इदाथवलम के नाम से भी जाना जाता है के रूप में एक सुखद स्थल है।


निलक्कल महादेव मन्दिर


मान्यतानुसार, भगवान शिव के दो रूप प्रचलित है। प्रथम - उग्र रूप और दूसरा - शुभ मंगला प्रदायकन रूप। भगवान अयप्पा ने असुर वध के पूर्व अपने पिता और देवाधिदेव भगवान शिव के उग्र और शुभ मंगला प्रदायकन रूप के दर्शन करके उनसे सभी बुरी शक्तियों से युद्ध करने और देव और मानव जाति की रक्षार्थ आशीर्वाद प्राप्त किया था। जहाँ उन्होंने भगवान शिव के दोनों रूपों में दर्शन किये, उस स्थल पर ही भगवन शिव के निलक्कल महादेव मन्दिर का निर्माण किया गया। शिव जी के इस मन्दिर के निकट ही पल्लियारक्कावु देवी क्षेत्र ( देवी पार्वती का मन्दिर ) भी है। निलक्कल महादेव मन्दिर क्षेत्र में भगवान शिव, उनके वाहन नन्दी और मन्दिर के उपदेवता, शुभ फलदाता प्रथम पूज्य गणपति जिन्हें कन्निमूल के नाम से सम्बोधित किया जाता है के अपने अपने छोटे मण्डप हैं । 

निलक्कल महादेव मन्दिर में की जाने वाली पूजा 

मन्दिर में देवता को समर्पित की जाने वाली सेवा के रूप में ३ बार दैनिक पूजा की जाती है। जिसके अतिरिक्त विशेष दिवसों और रविवार, सोमवार और शुक्रवार को देवता को विशेष सेवा देने का प्रावधान है। 

उषा पूजा 

दिवस में उषाकाल के समय जो की सूर्योदय के ठीक ३० मिनट के बाद का होता है में देवता को दी जाने वाली प्रथम सेवा है। 

उच्च पूजा 

पंचगव्य और नवकम नाम के अभिषेक जिसमे देवता को स्न्नान कराया और सजाया जाता है की सेवा अपराह्न में दी जाती है। विशेष दिवसों पर अभिषेक और पूजा में बदलाव किया जाता है। 

अष्ट पूजा 

मन्दिर में दिवस की अन्तिम सेवा के रूप में दी जाने वाली पूजा है। जिसे सांध्यकाल में सूर्यास्त के एक से दो घंटे के मध्य दीपराधना के रूप में किया जाता है। इस पूजा को आठ पूजा के नाम से भी जाना जाता है। 

निलक्कल महादेव मन्दिर में मनायें जाने वाले पर्वोत्सव 

किसी भी शिव मन्दिर की ही भांति महा शिवरात्रि का पर्व निलक्कल महादेव मन्दिर में मनाया जाने वाला मुख्य पर्व है। इसके अतरिक्त थिरुवोत्सवम को भी यहाँ पर भव्य रूप में मनाया जाता है। जिसमे भक्त हजारों की संख्या में उपस्थित होकर निलक्कल महादेव की पूजा अर्चना करते है और उनकी कृपा प्राप्त करते है। 


शिवरात्रि 

शिवरात्रि की रात को पूरे वर्ष की रात्रियों में सबसे प्रमुख स्थान प्राप्त है, जिसमे भक्त सम्पूर्ण रात भगवान शिव की आराधना करते है और भगवान शिव के प्रतीक स्वरुप शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, गुलाब जल का अभिषेक करते हुए वैदिक मंत्रों का गायन करते है।  


नवरात्रि 

चूंकि पल्लियारक्कावु देवी का क्षेत्र होने की वजह से इस स्थल पर नवरात्रि का अपना ही एक विशेष महत्त्व है। हर दिन देवी की एक अलग अलग रूपों में पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में लोग कठोर नियमों का पालन करते हुए उपवास रखते है। उत्सव का समापन महानवमी के दिन कन्या पूजन के साथ होता है। 


विनायक चतुर्थी 

निलक्कल महादेव मन्दिर के उप प्रतिष्ठित देवता कन्निमूल है, जिनका जन्म दिन माध माह की भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन माना जाता है को विनायक चतुर्थी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन उन्हें लड्डू और मोदक जो उनका प्रिय आहार है प्रसाद के रूप में कन्निमूल को अर्पित किया जाता है। 


निलक्कल महादेव मन्दिर का महत्त्व 

  • निलक्कल महादेव मन्दिर का विशेष महत्त्व इदाथवलम के रूप में सबरीमाला जाने वाले यात्रियों के लिए है। 
  • निलक्कल महादेव मन्दिर एक खुला स्थान में होने के कारण सबरीमाला जाने वाले यात्री जो अपने निजी वाहन से यात्रा कर रहे होते है। निलक्कल महादेव के दर्शन के साथ ही साथ पार्किंग के लिए स्थान भी पा जाते है। 
  • निलक्कल महादेव मन्दिर में लोग सबरीमाला की यात्रा के अतिरिक्त सामाजिक गतिविधियों (जैसे कनछेदन, मुण्डन, दान और सामाजिक चेतना को जागृत करने वाले कार्यक्रमों ) के लिए भी एकत्र होते रहते है। जिनका आयोजन समय समय पर किया जाता है। 

निलक्कल महादेव मन्दिर कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग से 

सबसे निकटतम हवाई अड्डा तिरुवनंतपुरम ( १३६ किमी ) का है जहाँ से दर्शन के लिए आने वाले तीर्थयात्री सड़क मार्ग से निलक्कल महादेव मन्दिर तक पहुँच सकते है। इसके अतिरिक्त कोचीन अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है जहा से भी आप निलक्कल महादेव मन्दिर पहुंच सकते है। पेरुनाड में एक छोटा सा हैलीपैड का भी निर्माण किया गया है जो सिर्फ सबरीमाला तीर्थयात्रा के समय ही संचालित किया जाता है। 


रेल मार्ग से 

चेंगन्नूर रेलवे स्टेशन ( ६८ किमी ) से पम्पा के लिए सीधी बस सेवा का संचालन किया जाता है। जिसकी सहायता से आप निलक्कल महादेव के दर्शन के लिए मन्दिर पहुँच सकते है। 

सड़क मार्ग से 

के एस आर टी सी ( केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ) ने तीर्थयात्रियों लिए पम्पा से निलक्कल के लिए नियमित सेवा प्रदान करती है। निजी बस सेवा अंगमूझी और थुलपल्ली और इसके आस पास से निलक्कल के लिए संचालित की जाती है। जिसके द्वारा आप निलक्कल महादेव मन्दिर बड़ी ही सुगमता से पहुँच सकते है। 

करोना गाइडलाइन 

करोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने ऑनलाइन दर्शन की सुविधा प्रदान की हुई है, परन्तु  RTPCR रिपोर्ट के नेगेटिव होने तथा आपके समस्त दस्तावेजों की जाँच के बाद ही मन्दिर प्रशासन आपको दर्शन की अनुमति प्रदान करता है। कोविड १९ की रैपिड टेस्ट रिपोर्ट को मन्दिर प्रशासन से मान्यता नहीं प्राप्त है, अतः दर्शन के पूर्व इसे न करा कर जाये। 


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