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Panki Dham - श्री हनुमान मंदिर

शाश्वत गंगा के तट पर बसे कानपुर का एक अपना ऐतिहासिक, धार्मिक और व्यावसायिक महत्व है। यूं तो पूरे भारत देश में ही आपकों राम भक्त श्री हनुमान जी के कई छोटे बड़े Shri Hanuman Mandir मिलेंगे। जिनमें से कई तो अति प्राचीन हैं। उत्तर भारत के कानपुर जिले का Panki Dham भी इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है। जिसमें पूरे भारत से लोग अपने परिवार के साथ बजरंगबली के दर्शन करने और अपनी मन की मुरादों को मांगने आते हैं क्यों की इस मंदिर की विशेषता है कि यहाँ आने वाले सभी भक्तों पर आंजनेय श्री हनुमान जी पूरी श्रद्धा और पूर्ण विश्वास के साथ अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। 

पनकी धाम जहाँ श्री हनुमान जी करते है अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण

                                                                  श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।।
 बरनउ रघुवर विमल जसु जो दायक फल चारि ।। 

पनकी का क्षेत्र सिर्फ मन्दिर ही नहीं अपने थर्मल पावर स्टेशन जो उत्तर भारत की कुछ तापीय ऊर्जा इकाईयों में से एक है, के लिए भी प्रसिद्ध है। पनकी एक औद्योगिक और आवासीय क्षेत्र है। 


Panki Dham  का इतिहास 

हालाँकि Panki Dham कितना पुराना है और इसके इतिहास के बारे में कोई प्रामाणिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, फिर भी पौराणिक कथाओं के अनुसार, मन्दिर लगभग तीन से चार सौ साल पुराना है। इस मन्दिर की स्थापना महन्त श्री श्री १००८ पुरुषोत्तम दास जी महाराज ने की थी। मान्यता के अनुसार महन्त जी चित्रकूट से बिठूर की तीर्थ यात्रा पर थे। चित्रकूट के पास वह सुबह अपनी नित्य साधना के लिए रुके और अपनी पूजा साधना समाप्त करने के पश्चात् जब वह अपनी बैल गाड़ी की तरफ बढ़ रहे रहे थे तो उनका पैर किसी पत्थर से टकराया। जब उन्होंने उस पत्थर की ओर देखा तो उन्हें प्रभु इच्छा से उस पत्थर में बजरंगबली के दर्शन प्राप्त हुए और उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ की वह पत्थर उन्हें अपने साथ ले जाने की आज्ञा दे रहा हो। चूँकि महन्त जी महर्षि वाल्मीकि के आश्रम जो कि बिठूर में था  की तरफ जा रहे थे। उन्होंने इस दिव्य निर्देश का पालन करते हुए, मूर्ति को उठाया और उसे अपनी बैल गाड़ी में पूरी श्रद्धा के साथ स्थान दिया। तदोपरांत अपनी यात्रा आरंभ की। कुछ दिन की यात्रा के बाद जब गाड़ी कान्हापुर (वर्तमान कानपुर) के बिठूर से सिर्फ दस कोस (लगभग १५ किमी) की दूरी पर थे कि महन्त जी देखा की बैलों और चालक के अथक प्रयासों के बाद भी बैल गाड़ी जरा सी भी हिल नहीं रही है। अत्याधिक प्रयासों के बाद भी जब बैल गाड़ी ना हिली, तो बैलों को आराम देने की मंशा से उन्होंने बैलों को खोल दिया और आराम करने लगे। आराम करते हुए उनके हल्की सी झपकी लगी, जिसमें उन्हें लगा मूर्ति उन्हें इस स्थान को पवित्र करने के दिव्य निर्देश दे रही है। महन्त जी ने इसे दैवीय आज्ञा मान कर स्थानीय लोगो की मदद से इस पत्थर को इसी स्थान पर विधिवत पूजा अर्चना के बाद प्रतिष्ठित किया। जिसकी पूजा वहां के स्थानीय लोगों द्वारा की जाने लगी और उस स्थान पर एक मन्दिर का निर्माण भी किया गया। Panki Mandir की ख्याति जैसे जैसे समय के साथ फैलती गयी वैसे वैसे यहाँ पूरे भारत से लोग दिव्य हनुमान जी के दर्शन करने आने लगे।  

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मन्दिर विग्रह

जब अहिरावण भगवान श्री राम और भ्राता लक्ष्मण को अपने साथ बलि चढ़ाने के उद्देश्य से पाताल लोक ले गया और उन्हें वहीं बंदी बना लिया, तो उन्हें छुड़ाने के लिए हनुमान जी वहां गये। वहां बलि चढ़ाने के समय श्री हनुमान जी ने जिस पंचमुखी रूप को धारण किया था, मन्दिर की मूर्ति भगवान के उसी रूप को दर्शाती है। भगवान की मूर्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर है तथा मन्दिर का एक मुख्य आकर्षण भगवान के चेहरे का दिन में तीन बार बार रूप बदलना है - सुबह के समय सूर्योदय के साथ भगवान का मुख बाल हनुमान के सामान उज्जवल, दिन में  एक युवा ब्रम्हचारी और सायं में एक तेजस्वी महापुरुष के रूप में दिखाई देता है। मूर्ति को चारों ओर से बहुत सारे चाँदी के पत्र द्वारा सुशोभित किया गया है। 


पनकी धाम जहाँ श्री हनुमान जी करते है अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण
पनकी धाम (Panki Dham) के पंचमुखी हनुमान

यूं तो Shri Hanuman Mandir में मंगलवार और शनिवार के दिन मन्दिर भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। पर बुढ़वा मंगल के अवसर पर सोमवार रात से ही दूर दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तगण मन्दिर में दर्शन के लिए पहुँचने लगते हैं। इस दिन मंदिर को एक सुन्दर दुल्हन की भाँति सजाया जाता है। 


                                सुमिर पवन सुत पावन नामू। अपने वश करि राखे रामू।। 


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